माँ मेरी माँ
माँ बनकर ये जाना मैंने,
माँ की ममता क्या होती है,
जब नन्हे-नन्हे नाज़ुक हाथों से ,
तेरे स्पर्श से पाया मेने ,
जग में सबसे सुंदर होती है माँ
माँ की मूरत केसी होती है॥
अब जाना मेने तुम्हे पाकर
उन आँखों में मेरा बचपन,
तुम्हें निहारा करती थी. . .
तस्वीर माँ की होती थी,
माँ बनकर ये जाना मैंने,
माँ की ममता क्या होती है॥
जब मीठी-मीठी प्यारी बातें,
कानों में मधुर स्वर लेहेराते थे,
नटखट मासूम अदाओं से,
तंग मुझे जब करते थे. . .
पकड़ के आँचल के साये,
तुम्हें छुपाया करती थी. . .
उस फैले आँचल में भी,
यादें माँ की होती थी. . .
माँ बनकर ये जाना मैंने,
माँ की ममता क्या होती है॥
देखा तुमको सीढ़ी दर सीढ़ी,
अपने कद से ऊँचे होते,
छोड़ हाथ मेरा जब तुम भीचले कदम बढ़ाते यों,
हो खुशी से पागल मै,
तुम्हें पुकारा करती थी,
कानों में तब माँ की बातें,
पल-पल गूँजा करती थी. . .
माँ बनकर ये जाना मैनें,
माँ की ममता क्या होती है॥
आज चले जब मुझे छोड़,
झर-झर आँसू बहते हैं,
रहे सलामत मेरे बच्चे,
हर-पल ये ही कहते हैं,
फूले-फले खुश रहे सदा,
यही दुआएँ करती हूँ. . .
मेरी हर दुआ में शामिल,
दुआएँ माँ की होती हैं. . .
माँ बनकर ये जाना मैंने,
माँ की ममता क्या होती है॥
सदा बहार
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 25 फरवरी 2017 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!