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Saturday 8 October 2011

~ ~ ~ ~ ~ ~ माँ बहुत खुबसूरत हो तुम ~ ~ ~ ~ ~ ~

माँ बहुत खुबसूरत हो तुम,
एकदम नेचर के नज़दीक,
दो नैना नीर बहाएंगे,
हम तुमको भुला न पाएंगे,
मौसम आयेंगे - जायेंगे ज़िन्दगी में,
तुमसी माँ कही न मिलेगी,
जब तरंग के तरह और एवर ग्रीन के तरह ब्यूटिफुल बने रहो,सदा हस्ते और सबको हसाते रहो.

~ ~ सदा बहार ~ ~ 

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